देशभर में मानसून ने दस्तक दे दी है. हर जगह बरसात हो रही है. जहां पर बहुत भीषण गर्मी थी वहां पर बारिश की बूंदों से राहत है लेकिन कई ऐसे इलाके है जहां पर बारिश का कहर भी नजर आना शुरू हो गया है. बारिश और बाढ़ की चपेट में हिंदुस्तान के कई राज्य हैं.
उत्तराखंड, हिमाचल, असम में नदियां उफान पर हैं. महाराष्ट्र, गुजरात मानसूनी बारिश में डूबे हैं. राजस्थान में इस बार भी बारिश आफत बनकर टूटी है. देश में हर साल बारिश और बाढ़ से करीब 7 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं. पिछले 65 सालों से हर साल औसतन बाढ़ में 2130 लोग मारे जाते हैं. एक लाख 20 हजार जानवर मरते हैं. 82.08 लाख हेक्टेएयर खेती बर्बाद होती है.
उत्तराखंड में बढ़े भूस्खलन
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एक रिसर्च के अनुसार भूस्खलन की जो घटनाएं पहाड़ी इलाकों में होती थीं, वो 2004 से 2010 के बीच 22 मिमी प्रति वर्ष की रफ्तार से होती थी लेकिन 2022-23 में ही भारी बरसात के कारण ये 325 मिमी प्रतिवर्ष की रफ्तार से हुई. इस बार भी हिमाचल और उत्तराखंड में जिस तरीके से बरसात हो रही है उससे भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. उत्तराखंड के कई शहरों में गाड़ियां और कारें पानी में तैरती हुई नजर आ रही हैं.
पहाड़ों पर कुदरत ना जाने क्या ठानकर बैठी है. आसमान से ऐसी तबाही बरस रही है कि जमीन पर सबकुछ ध्वस्त हो रहा है. पहाड़ तिनके की तरह बिखर रहे हैं. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में धारचूला की ओर जाने वाली एक सड़क पर पहाड़ का बड़ा हिस्सा टूटकर ऐसे गिरा कि सड़क बंद हो गई और सैकड़ों गाड़ियां फंस गईं. पिथौरागढ़ जिले में भी लगातार हो रही बारिश के चलते हादसे का खतरा बना हुआ है. काली नदी खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच गई है.
उत्तरकाशी में हिमखंड टूटने से गंगा के बहाव में अचानक तेज़ी आ गई. गौमुख में पुल बह जाने से 2 कांवड़िए पानी के तेज बहाव के साथ बह गए. बाकी बचे कांवड़ियों को एसडीआरएफ की मदद से रेस्क्यू किया गया. केदारनाथ मंदिर के पीछे गांधी सरोवर की पहाड़ी पर एवलांच की तस्वीर 2013 की त्रासदी की याद दिलाती है. पहाड़ों पर बर्फ का गुबार नजर आने लगा, जिसके बाद केदानगरी में हलचल मच गई.
देहरादून में कुछ टूरिस्ट छुट्टियां मनाने पहुंचे थे. कुछ भारतीय थे और कुछ विदेशी लेकिन भारी बारिश की वजह से जब बरसाती नदी में पानी का जलस्तर बढ़ता चला गया तो सब फंस गए. इससे पहले की स्थिति और खराब होती एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई. इसके बाद शुरू हुआ लोगों को बचाने का सिलसिला.
बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से उत्तराखंड की सबसे बड़ी पर्यटन नगरी नैनीताल की ओर जाने वाली सड़कें बेहाल हो गई हैं. नैनीताल पर बारिश आफत बनकर आई. रेलवे ट्रैक पर पानी और मलबा भर गया. जो सैलानी बरसाती मौसम का मजा उठाने आए थे, लौटने को मजबूर हो गए. शहर की सड़कें वीरान पड़ी हैं. सैलानी होटल खाली कर अपने-अपने ठिकानों को लौट रहे हैं और स्थानीय लोग भी भूस्खलन के डर से सहमे हुए हैं.
नैनीताल में लगातार दो दिनों से हो रही बारिश की वजह से जगह-जगह पहाड़ दरक रहे हैं. भूस्खलन की वजह से भवाली-कैंचीधाम को जोड़ने वाला रास्ता बंद हो गया है. लोगों से सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील की गई है, साथ ही स्कूलों में दो दिनों की छुट्टी कर दी गई है.
पहाड़ी इलाकों में हालत ये है कि कहीं मूसलाधार मुसीबत बरस रही है तो कहीं जिंदगी पानी के आगे बेबस नजर आ रही है. कहीं चट्टानें चटकने लगी हैं तो कहीं पहाड़ दरकने लगे हैं. तो कहीं फ्लैश फ्लड है.
इसरो और कोचिन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी के एक शोध के अनुसार पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं पिछले 20 सालों में काफी बढ़ी हैं. 2004 से 10 तक भूस्खलन की रफ्तार 22 मिलीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ते हुए 2022-23 में 325 मिलीमीटर प्रति वर्ष तक पहुंच गई. भारी बरसात ने इसमें बड़ा रोल अदा किया.
हरिद्वार में सूखी नदी में बरसात के चलते पूरी रफ्तार से अचानक पानी आ गया और सूखी नदी लबालब पानी से भर गई, जिससे नदी के किनारे खड़ी कई बड़ी-बड़ी गाड़ियां पानी में डूब गईं. कड़ी मशक्कत के बाद 7 गाडियों को पानी से निकाल लिया गया.
उत्तराखंड के बागेश्वर में भी लगातार बारिश जी का जंजाल बनी हुई है. मूसलाधार बारिश की वजह से नदी नाले रौद्र रूप में बह रहे हैं. बारिश के बाद पहाड़ों से पत्थर और मलबा सड़क पर आने से बागेश्वर में 11 सड़कों को बंद करना पड़ा. बागेश्वर में बारिश की वजह से जिले के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दे दिया गया.
हिमाचल प्रदेश के मंडी में फ्लैश फ्लड जैसे हालात बने हुए हैं. पहाड़ी से अचानक मलबा गिरने से हिमाचल टूरिज्म की बस और कई गाड़ियां फंस गईं. लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बाद हो रही लैंडस्लाइड से कई सड़कें ध्वस्त हो गई हैं. पार्किंग में खड़ी गाड़ियां को मलबे के नीचे दब गईं.
मानसून के शुरू होते ही पहाड़ों पर बादल ऐसे खौफनाक रूप से बरस रहे हैं कि लोग डरने लगे हैं. मंजर कुछ ऐसा है कि मनाली-चंडीगढ़ में कई जगह दरारें आ गई हैं. नौ महीने पहले ही 40 करोड़ की लागत से इस हाईवे का निर्माण हुआ था लेकिन हालत देखिए.
पहाड़ों पर कई दिनों से बाढ़-बारिश से प्रभावित इलाकों में मिशन जिंदगी चल रही है. मकसद कुदरती आपदा से प्रभावित लोगों को बचाकर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाना है, क्योंकि हर एक जिंदगी जरूरी है.
बिहार में ढहते जा रहे पुल
मध्य और पूर्वी नेपाल के पहाड़ी हिस्सों में जब बरसात होती है तो उसका असर बिहार पर पड़ता है और बिहार में तबाही होती है. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. बिहार की नदियां बरसात की शुरुआत से ही उफान पर हैं. एक तरफ प्राकृतिक आपदा दूसरी तरफ प्रशासनिक कुव्यवस्था जिसमें पुल के पुल ढहे जा रहे हैं. ये पुल नहीं गिर रहे, ये बिहार में सरकारी तंत्र पर भरोसा गिर रहा है. ये पुल नहीं टूट रहे लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं. 17 दिनों में 12 पुल गिर गए. बिहार में ऐसा क्या हो गया है कि पुल गिरते ही जा रहे हैं. पुराने पुल तो गिर ही रहे हैं, जिसका उद्घाटन भी नहीं हुआ, वो भी मलबे में तब्दील हो रहा है.
18 जून- अररिया में 12 करोड़ का पुल गिरा
22 जून- सीवान में 30 साल पुराना पुल टूटकर गिर गया
23 जून- मोतिहारी में 2 करोड़ की लागत से बनता निर्माणाधीन पुल का हिस्सा ढह गया
27 जून- किशनगंज में 13 साल पुराने पुल की मानो रीढ़ की हड्डी टूट जाती है. पुल बीच से धंस जाता है
28 जून- मधुबनी में जो पुल अभी बन ही रहा था, बनने-बनते 25 मीटर के पुल की बीम टूटकर गिर गया
30 जून- किशनगंज में 15 साल पुराने पुल का खंभा बीच से धंस गया. पुल अब कभी भी गिर सकता है
3 जुलाई- सीवान में एक नहीं तीन जगहों पर पुल धराशायी हो जाता है
3 जुलाई को ही सारण में एक नहीं दो-दो पुल टूट कर नदी में गिर जाते हैं
लेकिन बिहार में सिर्फ पुल नहीं गिर रहे हैं, पूरी व्यवस्था को नजर लग गई है. बिहार के कैमूर में अस्पताल की हालत बारिश ने खराब कर दी है. ये गनीमत है कि आईसीयू में बस मछलियां ही नहीं तैर रहीं बाकि पूरा अस्पताल पानी-पानी हो गया है. ऐसा नहीं है कि कैमूर में उम्मीद से ज्यादा बारिश हो गई थी. बस नाले को साफ नहीं कराया गया था. ड्रैनेज सिस्टम बंद पड़ा था.
बिहार में तो अभी मानसून ने दस्तक दी है. मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में बिहार के कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और मधेपुरा में भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. वहीं शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सौपाल, अररिया और किशनगंज में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, समस्तीपुर में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है.
बिहार में अभी ठीक से मानसून वाली बारिश भी नहीं हुई है और ना ही हर साल की तरह यहां नदियां उफान पर हैं. कुछ इलाकों में जलस्तर बढ़ा है लेकिन तबाही वाली स्थिति नहीं है लेकिन उसके पहले ही बिहार में गिरते पुलों ने सिस्टम पर प्रश्नचिन्ह्र लगा दिया है.
असम को डरा रही ब्रह्रमपुत्र नदी
पूर्वोत्तर के राज्यों का भी हाल ठीक नहीं है. असम की स्थिति तो हर वर्ष विकट रहती है जहां पर बरसात के मौसम में ही एक नहीं बल्कि कई-कई बार बाढ़ आ जाती है. इस बार भी जो बाढ़ आई है उस वजह से इंसान और जानवर दोनों ही बेहाल हैं. वायुसेना NDRF के जो कर्मी हैं वो सब यहां राहत बचाव कार्य में जुटे हैं.
असम में बारिश खौफ का दूसरा नाम बन गई है. कोई नहीं जानता कि पानी कब किसको अपने साथ बहा ले जाएगा. असम में बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में कछार, दीमा हसाओ, होजई, नगांव, चराईदेव, दरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, बजली, बक्सा, विश्वनाथ और लखीमपुर शामिल हैं.
हालात बिगड़ने के बाद भारतीय सेना को बचाव कार्य के लिए बुलाया गया है. असम राइफल्स की टीम ने बाढ़ प्रभावित हिस्सों में बचाव के काम को शुरू कर दिया है लेकिन बारिश से हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे. लगातार बारिश हो रही है और ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ रहा है. लेकिन हर साल असम में बाढ़ का कारण क्या है.
पहली वजह ये है कि चीन में बहने वाली यारलुंग सांगपो नदी का जलस्तर बढ़ता है तो भारत में ब्रह्रमपुत्र का जलस्तर बढ़ जाता है. असम की भौगलिक संरचना भी बाढ़ के लिए जिम्मेदार है. आसान भाषा में समझें तो असम अंग्रेजी के U के आकार का है. आसपास के सभी राज्यों से पानी की निकासी असम से होती है. पहाड़ी की तरफ से आने वाला पानी यहां के हालात बिगाड़ देता है. तीसरी वजह ये है कि असम में ब्रह्मपुत्र नदी लगातार विस्तार ले रही है. 1912 से 1928 के बीच ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया 3870 वर्ग किमी था. 1963-75 के बीच बढ़कर 4850 वर्ग किमी हो गया. साल 2006 में ब्रह्मपुत्र का कवर एरिया 6080 वर्ग किलोमीटर हो गया.
अब इसकी वजह से कभी जिस काजीरंगा में जानवर बारिश के दिनों में बचने के लिए डेरा लगते थे. अब बाढ़ की वजह से जानवरों को बचाने के लिए रेस्क्यू किया जा रहा है. दो दिन पहले बाढ़ की चपेट में हाथी का एक छोटा बच्चा आ गया. पानी के तेज बहाव में हाथी का बच्चा खुद को संभाल नहीं सका और बहने लगा. लोगों की नजर पड़ी तो बचाने की कोशिश शुरू हुई. ब्रहमपुत्र नदी में आई बाढ़ से असम का हाल बेहाल हो चुका है. जहां तक नजर जाती है, दिखता है तो सिर्फ पानी ही पानी. ब्रह्मपुत्र की लहरें कई गांवों में बर्बादी की सुनामी लेकर आई है.
पूर्वोत्तर में मणिपुर और अरुणाचल में भी भारी भारिश के कारण बाढ़ का संकट लगातार गहराता जा रहा है. चीन और अरुणाचल के बॉर्डर के पास कई गांवों को खाली कराया गया है. यहां ज्यादातर नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं. जगह-जगह लैंडस्लाइड देखने को मिल रहा है. खेत-खलिहान, गांव-बस्ती सबकुछ जलमग्न है. लोग जैसे-तैसे सुरक्षित ठिकाने तलाशकर अपनी जान बचा रहे हैं. जलभराव की यहां ये स्थिति है कि सड़कें तालाब बन गई हैं, घरों में बिजली नहीं है, आवाजाही ठप हो गई है.
गुजरात-महाराष्ट्र में पानी का प्रकोप
भारी बारिश की वजह से गुजरात पानी-पानी हो गया है. मानसून के भीषण जलप्रहार से सूरत जैसा शहर मानो तालाब में तब्दील हो गया है. सड़कें जैसे दरिया बन गई हैं. बाढ़ जैसे हालात हैं और जिंदगी बेहाल है. सूरत के आसपास से गुजरने वाली नदियां उफान पर हैं. पानी गांव और शहरों में घुस गया है. बालेश्वर गांव टापू जैसा नजर आने लगा है.
सूरत शहर से सटे सानिया हेमद इलाके का हाल भी कुछ ऐसा ही हैं, पूरे गांव में पानी ने डेरा जमा रखा है. लोकसभा चुनाव से पहले ही सूरत-धूलिया हाईवे पर एक ओवर ब्रिज का उद्घाटन किया गया था. पहली बारिश में ही ओवरब्रिज की सड़क धंस गई, कई जगह दरारें भी पड़ने लगी. सूरत में बारिश की वजह से सड़कों का भी बुरा हाल हो गया है. सड़कों पर बने गड्ढों की वजह से बड़े-बड़े हादसे हो रहे हैं.
गुजरात मूसलाधार बारिश से किस कदर बेहाल है, खेड़ा जिले के डाकोर गांव की इन तस्वीरों से साफ-साफ बयान हो रहा है. खेड़ा जिले के रणछोड़राय मंदिर का प्रवेश द्वार, जहां आस्था का सैलाब उमड़ता था वहां जल सैलाब की हुकूमत है. कुदरत के कहर की तीसरी तस्वीर बनासकांठा से आई जहां सरकारी अस्पताल डूबा-डूबा नजर आ रहा है. पार्किंग से लेकर अस्पताल के अंदर तक, ओपीडी से लेकर पैथ लैब, ऑपरेशन थियेटर हर जगह घुटनों तक पानी भरा हुआ है.
पानी के प्रकोप की ऐसी तस्वीरें लोगों को डरा रहीं हैं. जूनागढ़ में मानो शहर के अंदर समंदर घुस आया हो. लगातार बारिश से ओजत नदी औऱ बांध ओवरफ्लो हो गए हैं. जूनागढ़ के 30 से ज्यादा गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. हजारों घर पानी की जद में आ चुके हैं. सूरत, अहमदाबाद, गांधीनगर, कच्छ, भरूच जैसे शहर बारिश से बेहाल हैं. मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में दक्षिण गुजरात के कई जिलों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है.
दक्षिण गुजरात के ज्यादातर जिलों में रिकॉर्ड बारिश से हालात बेकाबू हो गए हैं. मौसम विभाग के अलर्ट के बाद प्रशासन लोगों और सैलानियों से लगातार अपील कर रहा है कि बारिश में नदियों और झरनों के पास जाएं तो बहुत ही सावधान रहें.
मुंबई में अब तक आफत वाली बारिश नहीं हुई है लेकिन अलर्ट जारी है. प्रशासन दावा कर रहा है कि इस बार तैयारी पूरी है. लेकिन मुंबई से सटे भिवंडी में बारिश हुई तो पोल खुल गई. निचले इलाकों में दो फीट तक पानी जमा हो गया. कई जगहों पर गाड़ियां डूब गईं. मौसम विभाग ने मुंबई के लिए अलर्ट जारी किया है.
राजस्थान में कई बड़ी नदियां उफान पर
राजस्थान में इस बार मानसून देरी से पहुंचा. पांच दिन देरी से वहां पर बरसात की शुरुआत हुई. लेकिन जैसे ही बारिश की शुरुआत हुई जयपुर में घंटे के भीतर 3.1 इंच बारिश हो गई. जिस वजह से पूरे शहर में गाड़ियां तैरती हुई नजर आईं. इस बार मौसम विभाग का पूर्वानुमान कहता है कि राजस्थान में औसत से अधिक बरसात हो सकती है.
चंद घंटे की बारिश ने टोंक में सैलाब ला दिया और पूरा शहर दरिया बन गया. भारी बारिश की वजह से राजस्थान की कई छोटी बड़ी नदियां उफान पर हैं. बनास नदी में पानी का जलस्तर इतना बढ़ गया कि कई गांवों का शहरों से संपर्क कट गया.
बाढ़ और बारिश में हाईवे को जोड़ने वाली पुलिया गायब हो गई है. उसी पुलिया से जब एक ट्रक गुजारा तो कई टन भारी ट्रक नदी में खिलौने की तरह बहने लगा. स्थानीय लोगों की मदद से ड्राइवर और हेल्पर को बचाया गया. बनास की सहयोगी नदी सहोदरा का पानी टोंक के गली मोहल्लों तक पहुंच गया. सारी दुकानें बंद हैं क्योंकि कमर तक पानी है. 335 मिलीमीटर बारिश एक दिन में रिकॉर्ड की गई और उसके बाद शहर की हालत ऐसी हो गई कि लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकाना तलाशने लगे.
टोंक का सबसे बड़ा माध्यमिक स्कूल तालाब बन गया. बारिश ऐसी हुई की जगह-जगह गाड़ियां पलट गईं. तेज बहाव के सामने सभी ने सरेंडर कर दिया. लगातार बारिश होने की वजह से रामसागर बांध का पानी जब टोंक में फैला तो कुछ नहीं बचा.
जयपुर में भी तेज़ हवाओं के साथ जोरदार बारिश हुई. बादल बरसे और इतना बरसे कि सड़कों पर खड़ी गाड़ियां डूब गईं. बेसमेंट्स पानी से लबालब हो गए. कच्ची बस्तियों में पानी भर गया. लगातार बारिश ने अलवर के नदी तालाबों को पानी से भर दिया. सीकर में सैलाब का संकट खड़ा हो गया.
मौसम के बिगड़े मिजाज को देखते हुए राजस्थान के हर शहर में सिविल डिफेंस की रेस्क्यू टीम को अलर्ट पर रखा गया है. मौसम विभाग ने अगले दो-तीन दिन में जयपुर, भरतपुर, कोटा और उदयपुर संभाग के कुछ भागों में तेज बारिश की आशंका जाहिर की है. लेकिन राजस्थान जैसे रेतीले इलाके में बारिश क्यों सितम ढाती है.
उत्तर प्रदेश का हाल बुरा
यूपी में मानसून ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया. मथुरा में इतनी बारिश हुई कि सड़कों पर पानी भर गया. नए बस स्टैंड के पास जलभराव में स्कूल बस और एंबुलेंस फंस गईं. पहले बच्चों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से बाहर निकला गया. फिर बुलडोजर बुलाकर एंबुलेंस को खींचकर निकाला गया. यूपी में मौसम विभाग ने 5 जिलों में बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है. 21 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट है. 9 जिलों में ऑरेंज और 13 जिलों में यलो अलर्ट रहेगा.
संभल में भारी बारिश के बाद रिहायशी इलाके पानी में डूबे नजर आए. जगह-जगह जलभराव की समस्या से लोग जूझते हुए दिखाई दिए. मौसम विभाग के मुताबिक ये आफत अभी और बढ़ने वाली है. वाराणसी और कानपुर में भी भारी बारिश का अलर्ट है. शहर-शहर पानी ने कई घरों को अपने आगोश में ले लिया और अब ये जानलेवा भी बनती जा रहा है.
बारिश से परेशान पूरी दुनिया
तस्वीरें जो भारत की आप देख रहे हैं दुनिया के कई और देशों में भी वही हाल नजर आ रहा है. दरअसल बरसात का मिजाज बदल चुका है. ऐसा लगता है कि समूची दुनिया में एक ही साथ बहुत भारी बरसात हो जाती है. चीन से लेकर यूरोप के भी कई देशों में बाढ़ जैसे हालात हैं.
चीन के कई शहरों में बाढ़ का कब्जा हो गया है. जहां जमीन हुआ करती थी वो सब जलमग्न है. सबसे ज्यादा बुरा हाल दक्षिणी चीन के गुआंग्डोंग प्रांत का है. यहां से हैरान करने वाली तस्वीरें आ रही हैंय लगातार जबरदस्त बारिश के कारण सब कुछ बाढ़ में डूबा दिख रहा है. कई हाईवे, कई रास्ते बंद कर दिए गए हैं, कई ट्रेनों को भी रद्द करना पड़ा.
चीन में चेतावनी जारी
इस बीच प्रभावित इलाकों में युद्धस्तर पर राहत बचाव का काम जारी है. मुश्किल में फंसे लोगों का रेस्क्यू कर उन्हें बचाया जा रहा है. चीन के मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों में हालात और खराब हो सकते हैं.
स्विटजरलैंड में भी बारिश के चलते हालत भयावह है. कई शहरों में ऐसी स्थिति बन गई है कि लोगों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है. भीषण बाढ़ के कारण कई सड़कें और ट्रेन की पटरियां डूब गई हैं. ये वो शहर है जिसका रुतबा दुनिया के तमाम बड़े शहरों में सबसे ऊपर सबसे अलग माना जाता है. लेकिन आज बाढ़-बारिश के सामने सबने सरेंडर कर दिया है.